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ब्यूरो रिपोर्ट,

हल्द्वानी। नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) की परीक्षा परिणामों को लेकर इन दिनों देश में बवाल मचा हुआ है। अभ्यर्थी जहाँ परीक्षा में धांधली होने व पेपर लीक आउट होने जैसे गंभीर आरोप को लेकर सड़कों पर है और पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग सरकार से कर रहे है। नीट परीक्षा का जिम्मा जिस एजेंसी (एनटीए) पर है, मौजूदा परीक्षा परिणामों को लेकर उसकी कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे है। मसलन अभ्यर्थी पूछ रहे है कि एक ही केंद्र के 6 छात्रों को 720-720 अंक कैसे मिले? परीक्षा का जो परिणाम 14 जून को जारी किया जाना था उसे 4 जून को लोकसभा चुनाव परिणाम के दौरान क्यू घोषित किया गया? कुल मिलाकर कुछ तो गड़बड़ है और लाखों नीट अभ्यर्थी इस का उत्तर चाहते है। अगर कहीं कुछ गलत हुआ है तो य़ह लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। रही बात पेपर लीक होने की तो य़ह सही है कि पेपर लीक होने के चलते ही इस बार हैरतअंगेज परिणाम निकलकर सामने आए है। इस साल परीक्षा पेपर लीक के कई मामलों ने एक बार फिर देश की शिक्षा व्यवस्था और सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली की नीवं को हिला कर रख दिया है। नीट परीक्षा देश में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, उसके बावजूद इन क्षेत्रों में पेपर लीक होने की घटना से एनटीए की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग रहे है। गौरतलब है कि इस वर्ष नीट परीक्षा में 67 विद्यार्थियों ने 720 अंक हासिल किए। जबकि इसी परीक्षा में गत वर्ष मात्र 3 छात्रों ने ही 720 अंक हासिल किए थे। अचानक एक ही वर्ष के अन्तराल में य़ह ग्राफ 3 से बढ़कर कैसे 67 पर पहुंच गया, जो एक बड़े घोटाले की और इशारा कर रहा है। इसी तरह परीक्षा में बैठने वाले 6 छात्रों के सीट नंबर एक ही क्रम से है। दो छात्रों ने 718 और 719 अंक हासिल किए य़ह पूरी तरह असम्भव है। क्योंकि नीट परीक्षा में 180 प्रश्न होते है और प्रत्येक प्रश्न के चार अंक होते है, यदि कोई प्रश्न गलत करता है तो उसके अंक 715 या 716 के आस पास होने चाहिए न कि 718 व 719 ।
ऐसे ही तमाम सवाल है जो एनटीए की कार्यशैली को संदेह के घेरे में खड़ा करती है।

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धड़ल्ले से चल रही कोचिंग की दुकानें

प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग कराने वाले संस्थानों ने भी नीट जैसी परीक्षाओं के छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा का केंद्र बना कर रख दिया है। य़ह संस्थान नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रथम व दूसरा स्थान लाने वाले छात्रों के दम पर ही जनता में के बीच अपनी लोकप्रियता अर्जित करते है, और उसी लोकप्रियता के बूते पर उनकी कोचिंग की दुकानें धड़ल्ले से चलती रहती है। शहर में कुकुरमुत्ते की तरह उग आए इन कोचिंग संस्थानों में से कई कोचिंग संस्थान ऐसे है जो मानकों पर खरे ही नहीं उतरते है। लेकिन उसके बाद भी ये धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे है। कई कोचिंग संस्थानों में मूलभूत सुविधाओं तक का अभाव है पर उन्हें इन सब बातों से कुछ भी लेना देना नहीं है। उनका मुख्य मक़सद तो छात्र संख्या को बढ़ाना है जिसके ऐवज में वे छात्रों से मोटी फीस वसूलते है। सबसे बड़ी बात तो य़ह भी है कि संचालित किए जा रहे कोचिंग संस्थानों की गुणवत्ता की परख करने के लिए कोई संस्था ही अस्तित्व में नहीं है, जो इनके कार्यो की मानिटरिंग करे। क्रमश:

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