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एक कर्मचारी, एक पासवर्ड और 3 करोड़ 18 लाख की खामोश लूट, शिक्षा विभाग देखता रहा, छात्र भूखे पढ़ते रहे

देहरादून: आज हम आपके सामने एक ऐसी खबर लेकर आए हैं, जो बताती है कि इस देश में भ्रष्टाचार किस तरह सफेदपोश बनकर सरकारी दफ्तरों में बैठा है और यह भी कि सिस्टम कितना गूंगा, बहरा और अंधा हो चुका है।
घटना उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की है। जहां एक कर्मचारी, नाम है नवीन सिंह रावत, ने प्रधानमंत्री पोषण योजना, यानी मिड-डे मील स्कीम के नाम पर ढाई साल में 3 करोड़ 18 लाख रुपए चुपचाप अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। और यह सब तब हुआ, जब शिक्षा विभाग अपने ही ऑफिस में बैठकर चाय की चुस्कियों में व्यस्त था।
वर्ष 2022 में शिक्षा विभाग ने फैसला किया कि अब से बच्चों को खाना देने का पैसा सीधे स्कूलों के खातों में नेट बैंकिंग के ज़रिए जाएगा। मतलब, अटेंडेंस के हिसाब से फंड, और बचे हुए पैसे स्कूलों के खातों में जमा रहते।
हर महीने देहरादून जिले को करीब 1.5 से 1.75 करोड़ रुपये इस योजना के तहत मिलते थे। इनमें से लगभग 30 से 35 लाख रुपये हर महीने बच जाते थे।
अब मंच पर आते हैं नवीन सिंह रावत उपनल (आउटसोर्सिंग एजेंसी) के ज़रिए नियुक्त एक समन्वयक (एमआईएस कोऑर्डिनेटर)। उसने चुपचाप नेट बैंकिंग का पासवर्ड चुरा लिया और फिर क्या जो पैसे बच्चों के पोषण के लिए आने थे, वो सीधे नवीन के ‘भोजन खाते’ में चले गए।
जब जिला शिक्षा अधिकारी प्रेमलाल भारती ने खातों की जानकारी मांगी, तो विभाग की नींद टूटी। जांच में सामने आया कि 3.18 करोड़ रुपये नवीन ने अपने दो निजी खातों में ट्रांसफर किए और वहां से गूगल पे के जरिए 40-50 अन्य खातों में भेज दिए।
मतलब एक आदमी विभाग की आंखों के नीचे ढाई साल तक सरकारी पैसे का गूगल पे गेम खेलता रहा और ना कोई अधिकारी जागा ना ऑडिट रिपोर्ट में कोई खोट मिली।
अब विभाग एफआईआर दर्ज करवा चुका है। आरोपी फरार है। पुलिस तलाश में है, और हम सब इंतजार में हैं कि क्या वाकई इस सिस्टम में किसी को सज़ा होती है?
एसपी देहात ऋषिकेश जय बलूनी कहते हैं कि जल्द गिरफ्तारी होगी। लेकिन इस ‘जल्द’ का मतलब विभाग की घड़ी में कितना वक्त होता है, यह आप-हम सब जानते हैं।
कुल मिलाकर जिस देश में बच्चों के खाने के पैसे भी सुरक्षित नहीं, वहां बाकी योजनाओं का क्या होगा?
जो पासवर्ड से करोड़ों निकाल ले, और विभाग को भनक तक न लगे क्या वही ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना है?

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