

इस पाठशाला में बाघ केवल गिने नहीं जाएंगे, बल्कि जंगल की भाषा को समझने की तालीम दी जाएगी
राजेश सरकार
देहरादून: बाघों की गिनती सुनकर आपको शायद लगे कि ये कोई साधारण प्रक्रिया होगी। पगमार्क देखे, कैमरे लगाए, और आंकड़े तैयार कर दिए। लेकिन जंगल और जंगली जानवरों की दुनिया इतनी भी आसान नहीं है। वहाँ हर निशान, हर हरकत और हर आवाज़ एक कहानी कहती है। और उसी कहानी को पढ़ना अब देश के वन अधिकारियों को सिखाया जाएगा राजाजी टाइगर रिजर्व की खुली किताब में।
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने तय किया है कि 2026 में देशभर में बाघों की गिनती की जाएगी। लेकिन गिनती करने के लिए केवल गिनती जानना काफी नहीं होता समझदारी, संवेदनशीलता और तकनीकी दक्षता चाहिए। इसलिए उत्तर भारत के राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के वन अधिकारियों को भेजा जा रहा है देहरादून के पास बसे राजाजी टाइगर रिजर्व, जो अब एक प्रशिक्षण केंद्र बन चुका है।
यह कोई सामान्य प्रशिक्षण नहीं होगा। 18 से 20 नवंबर के बीच, अधिकारी न केवल टाइगर काउंटिंग की तकनीक सीखेंगे, बल्कि सीखेंगे कि कैसे जंगल से संवाद किया जाए। कैसे एक पगमार्क में छुपा हो सकता है एक बाघ की पूरी यात्रा का इतिहास। कैसे एक कैमरा ट्रैप बता सकता है जंगल की अनकही कहानियां। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिक भी आएंगे। जिनके लिए बाघ सिर्फ एक जानवर नहीं, एक डेटा पॉइंट भी है और एक संरक्षित नागरिक भी। वे सिखाएंगे कि कैसे आधुनिक तकनीक जीपीएस, कैमरा ट्रैप, ग्रिड मैपिंग को इस्तेमाल करके बाघों की मौजूदगी को प्रमाणिकता के साथ दर्ज किया जाता है। इस प्रशिक्षण में सिर्फ गिनती नहीं, गणना का दर्शन भी सिखाया जाएगा। पुराने आंकड़ों की समीक्षा होगी बाघों की संख्या बढ़ी या घट रही है?
कहाँ बाघ हैं और कहाँ सिर्फ उनके किस्से रह गए हैं?
शहरी लोग शायद भूल गए हैं कि जंगल भी बोलता है। लेकिन इन तीन दिनों में, अधिकारी फिर से सीखेंगे कि कैसे जंगल की मिट्टी, उसकी घास, और उसकी हवा भी कुछ कहती है। और कैसे हर बाघ, सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि जंगल का चलती-फिरती आत्मा है। क्योंकि ये सिर्फ बाघों की गिनती नहीं है। ये भरोसे की बहाली है इंसान और प्रकृति के रिश्ते में। जहाँ हम जानवरों को शिकार नहीं, सह-अस्तित्व का साथी मानने की सीख ले रहे हैं। जब देशभर में खबरें अक्सर डर और त9नाव से भरी होती हैं, तब राजाजी टाइगर रिजर्व से आई य़ह खबर, जंगल की तरह शांति और उम्मीद से भरी है। कुल मिलाकर जंगलों में बाघ रहें और शहरों में इंसान बचे रहें इसी संतुलन के लिए ये प्रशिक्षण नहीं एक जिम्मेदारी है।
तैयारियों को लेकर उत्सुकता
इस समय देशभर में टाइगर की गिनती के कार्यक्रम को लेकर तैयारी की जा रही है। इसी कड़ी में एनटीसीए ने राजाजी टाइगर रिजर्व को प्रशिक्षण के लिए चुना है, जहां पर प्रशिक्षण से जुड़ी सभी तैयारियां टाइगर रिजर्व प्रबंधन को करनी है।
कोको रोसे, निदेशक, राजाजी टाइगर रिजर्व







