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कॉर्बेट की गोद में खुली सीख की राह: बच्चों के लिए फील्ड ट्रिप बनी ‘क्लासरूम से बाहर की नई दुनिया’

हल्द्वानी/ रामनगर: छात्र-छात्राओं के लिए पढ़ाई के साथ-साथ ताज़गी और मानसिक विकास के लिए घूमना बेहद ज़रूरी माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि फील्ड ट्रिप यानी क्षेत्र भ्रमण न सिर्फ बच्चों को किताबों की दुनिया से बाहर ले जाता है, बल्कि उन्हें प्रकृति, समाज और विज्ञान का जीता-जागता अनुभव भी कराता है।
स्कूलों द्वारा कराए जाने वाले ऐसे भ्रमणों में यदि बच्चों को कॉर्बेट पार्क जाने का मौका मिल जाए तो यह अनुभव उनके लिए और भी विशेष बन जाता है। कॉर्बेट पार्क में वन्यजीवों और प्रकृति के करीब पहुंचने की अनूठी सीख मिलती है। यहां जीप सफारी से लेकर प्रकृति भ्रमण और टीम-निर्माण जैसी गतिविधियाँ बच्चों को रोमांच के साथ ज्ञान भी देती हैं।
पिछले कुछ वर्षों में हुए कई अध्ययनों ने यह स्पष्ट किया है कि फील्ड ट्रिप छात्रों के भीतर सीखने की रुचि को फिर से जगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। चाहे संग्रहालय हो, पुराना किला, फैक्ट्री हो या पार्क ये स्थान बच्चों के लिए किताबों के पन्नों से निकलकर जीवन्त हो उठते हैं। कक्षा की चारदीवारी से बाहर निकलकर बच्चा सवाल पूछता है, समझने की कोशिश करता है और नई ऊर्जा के साथ सीखता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अनुभव बच्चों की सोच का दायरा बढ़ाते हैं। जब बच्चा पूछता है कि मशीन ऐसे क्यों चलती है?, यह जानवर इतना खास क्यों है?, यह पेड़ यहां कैसे उगा?, सफारी इतनी रोमांचक क्यों है? तो यह उसकी जिज्ञासा और कल्पनाशक्ति के विस्तार का संकेत होता है।
आज जब शिक्षा व्यवस्था कौशल-आधारित होने की तरफ बढ़ रही है, ऐसे में फील्ड ट्रिप कौशल विकास की सबसे प्रभावी सीढ़ी बनकर उभर रहे हैं। टीम में काम करना, नए माहौल में खुद को ढालना, स्थानीय लोगों से बातचीत करना और अनजानी जगहों में आत्मविश्वास बढ़ाना ये सभी कौशल किताबों से नहीं, बल्कि अनुभवों से आते हैं। ऐसे दौरों में शिक्षक भी बच्चों के करीब आते हैं। अनुशासन की कठोरता से हटकर वे बच्चों के साथ सहजता से बातचीत करते हैं, जिससे सीखने के माहौल में गर्मजोशी और भरोसा बढ़ता है।
इन यात्राओं की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि वे बच्चों को दुनिया का पहला छोटा पासपोर्ट थमा देती हैं। बच्चा महसूस करता है कि इतिहास सिर्फ तारीख़ों में नहीं, दीवारों पर भी लिखा हुआ है, विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं में नहीं, खेतों और कारखानों में भी ज़िंदा है। कई बार यही यात्राएँ बच्चों के भीतर के वैज्ञानिक, कलाकार, खोजी या पर्यावरणप्रेमी को जन्म देती हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि सीखना किसी एक दिन की घटना नहीं, बल्कि जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है। और बच्चों की वास्तविक दुनिया से पहली पहचान अक्सर इन्हीं फील्ड ट्रिप्स पर होती है। इसलिए अभिभावकों से अपील है कि जब भी स्कूल की ओर से किसी फील्ड ट्रिप का अवसर मिले, बच्चों को खुलकर जाने दें और लौटकर उनके अनुभव ज़रूर सुनें, क्योंकि यही अनुभव उनके भविष्य और व्यक्तित्व को आकार देते हैं।

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