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हल्द्वानी/ नैनीताल: नैनीताल की सुबह भले ही झील के पानी की तरह शांत दिखती हो, लेकिन ज़मीन के नीचे एक हलचल चल रही है और यह हलचल है उन छोटे-छोटे भूखंडों की, जिन पर बड़े-बड़े सपनों के मकान बनाकर बेचने का खेल वर्षों से चलता रहा है। लेकिन इस बार प्राधिकरण ने जैसे कह दिया हो बस, अब ज़्यादा मत उड़ो।
जिला विकास प्राधिकरण के सचिव विजय नाथ शुक्ला बताते हैं कि शासन के आदेश के बाद 100 वर्ग गज से कम के प्लॉटों की बड़े पैमाने पर जांच की गई। यह वही प्लॉट हैं जो स्टाम्प पेपर पर ऐसे खरीदे-बेचे गए मानो कानून कोई पड़ोसी गाँव का बुज़ुर्ग हो जिसे सिर्फ सलाम कर दो और बात ख़त्म। पिछले एक साल में एक हज़ार से ज़्यादा मकानों का सर्वे हुआ। और सर्वे में जो मिला, वह चौंकाने वाला भी था और अंदाज़ों के मुताबिक़ भी बिना स्वीकृत नक्शा, बिना वैध रजिस्ट्रेशन और बिना किसी नियमन के बना एक पूरा अनौपचारिक रियल एस्टेट तंत्र। और अब परिणाम यह कि 600 लोगों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। कई पर कार्रवाई भी हो चुकी है। यह अभियान नैनीताल, भीमताल, हल्द्वानी और रामनगर जैसे तेजी से फैलते क्षेत्रों में चल रहा है जहां अवैध निर्माण की शिकायतें अब गिनती से बाहर हो चुकी थीं। सरकार ने साफ़ कहा है कि 100 वर्ग गज से कम प्लॉटों की स्टाम्प पर खरीद–फरोख़्त मान्य नहीं। आप मानें या न मानें, लेकिन कानून इसे अवैध मानता है और उसी हिसाब से निर्माण भी अवैध हो जाता है। यानी घर बनाते समय जो उम्मीद की ईंटें लगाई थीं, वे अब नोटिस की ठनकार में कहीं बिखर सकती हैं।
प्राधिकरण ने चेतावनी भी जारी की है बिना वैध प्रक्रिया के खरीद-फरोख़्त में आर्थिक नुकसान तो तय है और कुछ मामलों में तो निर्माण ध्वस्तीकरण तक हो सकता है। यानी सपना भी गया, पैसा भी गया और घर भी। विजय नाथ शुक्ला कहते हैं कि अभियान और तेज़ होगा। प्रशासन, तहसील और राजस्व विभाग सभी एक लाइन में खड़े होकर तैयारी कर रहे हैं ताकि अवैध कॉलोनियों के फैलते जाल को रोका जा सके। यह सिर्फ कार्रवाई नहीं, बल्कि यह व्यवस्था की वह पुकार है जो कहती है शहरों को बस बनने दो, बिखरने मत दो। नैनीताल की वादियों में अब सिर्फ हवा ही नहीं बहेगी, नियम भी चलेंगे। और यह संदेश साफ़ है कानून की नज़र छोटी ज़मीन पर भी उतनी ही है, जितनी किसी बड़े प्रोजेक्ट पर।

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